हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह सययद अली खामनेई से पूछा गया सवाल कि अगर मैंने सरकारी संपत्ति (बैतुलमाल) का निजी इस्तेमाल किया है, तो इसका प्रायश्चित (बरी उज़-ज़िम्मा) होने के लिए मेरी ज़िम्मेदारी क्या है? और कर्मचारियों के लिए सरकारी संसाधनों का व्यक्तिगत उपयोग किस हद तक जायज़ है? अगर संबंधित अधिकारी की अनुमति हो, तो इसका क्या हुक्म है?
सवाल का जवाब:
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जरूरत के मुताबिक उपयोग:
सरकारी कर्मचारियों के लिए संस्थान के काम के दौरान, जरूरत और कार्य की प्रकृति के अनुसार, सरकारी संसाधनों का सीमित और परिचित स्तर तक उपयोग करना जायज़ है। इसमें कोई आपत्ति नहीं है। -
अधिकारी की अनुमति से उपयोग:
अगर वह व्यक्ति, जिसे शरई और कानूनी रूप से अनुमति देने का अधिकार है, सरकारी संसाधनों के उपयोग की अनुमति देता है, तो इसमें भी कोई समस्या नहीं है। -
अनुचित उपयोग:
- यदि सरकारी संपत्ति का उपयोग आवश्यकता से अधिक या बिना संबंधित अधिकारी की अनुमति के किया गया है, तो यह अनुचित है।
- ऐसे मामले में, उपयोगकर्ता को नुकसान की भरपाई करनी होगी:
- यदि संपत्ति मौजूद है, तो उसे लौटाया जाए।
- यदि संपत्ति नष्ट हो गई हो, तो उसका बदला (मुआवजा) अदा किया जाए।
- यदि उपयोग के लिए कोई शुल्क (उज्रतुलमिस्ल) बनती है, तो वह भी बैतुलमाल में वापस करनी होगी।
सारांश: सरकारी संसाधनों का उपयोग केवल आवश्यकता और अनुमति के दायरे में जायज़ है। किसी भी अतिरिक्त या अनुचित उपयोग पर नुकसान की भरपाई करना अनिवार्य है।
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